Motivational Story for UPSC Aspirants:-

नमस्कार दोस्तों आज मैं एक ऐसी जिला अधिकारी यानी आईएएस बनी लड़की की कहानी बताने जा रहा हूँ  जिसको पढ़ने के बाद आपके पैरों तले जमीन खिसक सकती हैं और आपके रॉम रॉम  खड़े हो सकते हैं ।

IAS Aparajita, IAS motivational story in hindi, failure stories of ias aspirants, aparajita sharma ias marriage, upsc success stories
Image Source - Google । Image by -  abplive.com


लेकिन उससे पहले कुछ चंद लाइने आपके लिए पेश करता हूं 

रख हौसला वह मंजर भी आएगा ,
रख हौसला वह मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चल कर समंदर भी आएगा
थक कर ना बैठ... थक कर ना बैठ...
ए मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी
और मिलने का मजा भी आएगा

यह कहानी है एक आईएस यानी जिला अधिकारी बनी लड़की की , बनारस में शाम हो रही थी चारों तरफ मंदिरों की घंटियों की आवाज गूंज रही थी जिसे सुनते ही अपराजिता गंगा घाट की तरफ दौड़ी चली जाती है तभी उसकी नजर गंगा आरती करते हुए व्यक्ति पर पड़ती है और वह चौक जाती है कि पंडित जी की जगह ये कौन व्यक्ति है जो गंगा आरती कर रहा हैं । 
अचानक ही तभी अनाउंसमेंट होता है कि बनारस के नए जिलाधिकारी अभिनंदन कुमार का स्वागत है चारों तरफ पुलिस फोर्स को देखकर अपराजिता अपनी बड़ी बहन साधना से  पूछती है कि दीदी यह जिलाधिकारी क्या होता है क्या इसकी इतनी शक्तियाँ होती है कि वह पूरा बनारस संभाल सके और वह दीदी से प्रश्नो की भरमार लगा देती है यानि की प्रश्नो का अंबार लगा देती है साधना उसे बताती है कि जिलाधिकारी पूरे जिले का राजा होता है और जिला संभालने के लिए बहुत ही समझदारी की आवश्यकता होती है जो कि एक दिन मे नहीं आती और यहाँ तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है अपने आप को तपाना पड़ता है तब जाकर सफलता मिलती हैं अपराजिता यह सब सुनकर बहुत ही प्रसन्न होती हैं और मन ही मन निर्णय ले लेती है कि मुझे भी जिलाधिकारी यानी कि आईएएस बनना है। 

घर आकर अपराजिता अपनी बड़ी बहन सादना से पूछती है कि दीदी आईएएस बनने के लिए कौन सी परीक्षा देनी पड़ती है , कैसी तैयारी करनी होती है लेकिन साधना को आईएस के बारे में उतना अधिक नहीं मालूम था आईएस के प्रोसेस के बारे में नहीं पता होता है वह बताती है कि तू एक काम कर तू इंटरनेट में तुझे सब कुछ मिल जाएगा आईएस की सारी जानकारी तुझे इंटरनेट की मदद से मिल जाएगी तू बस ₹6000 वाला जो 1 इंटरनेट वाला फोन आता है कोई भी तू जाके बाजार से ले ले वहां से सब पता चल जाएगा यह सुनकर अपराजिता शांत हो जाती है इंटरनेट वाला फोन लेने के लिए तो अधिक पैसे चाहिए पैसे कहां से लाऊं मैं मां के पास जाती है और बताती है कि मां मुझे एंड्रॉयड फोन के लिए पैसे चाहिए वह सुनते ही मना कर देती है कि 2 दिन में साधना की शादी है और मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि तुझे ₹6000 दे सकूं ।

क्यूकी अपराजिता को कोई आइडिया नही था कि आईएएस कैसे बनते हैं और कोई गाइडेंस करने वाला भी नहीं था आईएएस की तैयारी कैसे करते हैं कौन सी किताबें पढ़ते हैं या फिर पढ़ी जानी चाहिए अपराजिता को कुछ नहीं मालूम था अब अपराजिता रोते रोते सो जाती हैं । 

साधना के शादी के दस दिन बाद अपराजिता का जन्मदिन आता है और उसकी दीदी उसे गिफ्ट के तौर पर उसे एक स्मार्ट फोन देती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता और वह इंटरनेट से धीरे-धीरे सारी जानकारी इकट्ठा कर लेती है कि कैसे पढ़ना है क्या करना है क्या स्टडी प्लान होनी चाहिए उसने स्टडी प्लान टॉपर्स की वीडियो की मदद से इंटरनेट की मदद से कलेक्ट कर लेती है और बाजार से जाकर किताबें भी खरीद लाती है एक दिन वह geography की किताब पढ़ रही होती है तभी अचानक उसका दूर का भाई समीर आता है और उसे बीएचयू यानी कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एंट्रेंस एग्जाम के बारे में बताता है

वह अपराजिता से कहता है कि बीएचयू से ग्रेजुएशन करेगी तो तेरा यूपीएससी में बहुत मदद मिलेगी बहुत हेल्प मिलेगा अपराजिता उसकी बात मान लेती है और बीएचयू की तैयारी मे लग जाती है क्यूकी कटऑफ High जाने के कारण एंट्रेंस एग्जाम क्लियर नहीं हो पाता जी हाँ अपराजिता का एंट्रैन्स एक्जाम क्लियर नहीं हो पाता और वह दुखी हो जाती है वह दौड़कर गंगा घाट पर पहुंचती है कि अचानक उसे वह जिलाधिकारी ज्ञानी के अभिनंदन कुमार की याद आ जाती है और उसका उत्साह फिर से वापस आ जाता है और वह सदारण कॉलेज में एडमिशन ले लेती है और आईएएस की तैयारी में लग जाती है एक तरफ ग्रेजुएशन कंप्लीट होता है तो दूसरी तरफ आईएएस की तैयारी जोरों शोरों से चल रही होती है आखिरकार एग्जाम का दिन आता है और अपराजिता का यूपीएससी एग्जाम सेंटर बीएचयू ही होता है वह एग्जाम देने से पूर्व थोड़ा मायूस होती है कि मैं बीएचयू में नहीं पढ़ सकी थोड़ी देर में मन ही में या बात आती है कि बीएचयू न सही , तो क्या हुआ मैं आईएएस क्वालीफाई करके लबसना यानी कि आईएएस ट्रेनिंग एकेडमी लबासना के मजे लूंगी वहां की जिंदगी जियूँगी बहुत कुछ सिखूंगी तभी घंटी बजती है और अपराजिता परीक्षा हॉल में प्रवेश करती है क्यूकी उसने दिन रात मेहनत करके उस परीक्षा के लिए तैयारी कर रही होती है और उसकी मेहनत रंग लाती है और उसका पहले ही प्रयास में प्रेलिंस एग्जाम क्वालीफाई हो जाता है अपराजिता का पहले ही प्रयास में यूपीएससी प्री क्लियर हो जाता है अब अपराजिता मैंस की तैयारी में लग जाती है क्यूकी मैंस की टेस्ट सीरीज जॉइन ना करने के कारण आत्मविश्वास थोड़ा कमजोर रहता है और वह इंटरनेट में देखती है कि आंसर राइटिंग स्किल कैसे ठीक करें वहां उसको टेस्ट सीरीज का ही सुझाव मिलता है जी हां उसे लगातार इंटरनेट वीडियो में टेस्ट सीरीज का सुझाव मिलता है ।

वे इस बार मां के पास जाती है और टेस्ट सीरीज के लिए पैसे मांगती है पर मां के पास पैसे नहीं होते अपराजिता दुखी हो जाती है मैंस कैसे क्वालीफाई होगा फिर भी खुद से प्रयास करती है लेकिन दस नंबरों से मैंस रुक जाता है यानी कि 10 नुम्बरों से उसका मैंस में क्वालीफाई नहीं हो पाता उसे जानकर बहुत दुख होता है वह दुखी दूसरी तरफ अपराजिता की मां उसकी शादी फिक्स कर देती है जी हां वहीं दूसरी तरफ अपराजिता की माँ उसकी शादी फिक्स कर देती है लेकिन अपराजिता का तो एक ही सपना था यूपीएससी क्वालीफाई करके लबासना आईएएस ट्रेनिंग में जाना। 

अब अपराजिता शादी के लिए हाँ कर देती हैं लेकिन उसकी सर्थ होती हैं वह शादी एक साल बाद करेगी मां भी इसके लिए मान जाती है जी हां यहां अपराजिता फिर से प्रिलिम्स की तैयारी में लग जाती है इस बार फिर से प्रिलिम्स एग्जाम क्लियर होता है और वह मैंस की तैयारी मे जोरों सोरो से लग जाती हैं ।

इस साल अपराजिता का पूरा फोकस आंसर राइटिंग में था उसका मेंस एग्जाम अच्छा होता है और वह रिजल्ट का इंतजार करती है यहां अपराजिता की शादी का समय नजदीक आ गया था और अपराजिता अपनी दीदी साधना के साथ बाजार आई होती है तभी फोन बजता है और उसका भाई समीर अपराजिता को बताता है कि इस बार तेरा मेंस एग्जाम क्लियर हो गया है यानी कि उसने मेंस परीक्षा पास कर ली थी अपराजिता झूम उठती है अब अपराजिता अपने आखिरी पड़ाव यानी की इंटरव्यू की तैयारी में लग जाती है एक दिन वह बाहर पढ़ रही होती है तभी अचानक पड़ोस वाली आंटी आकर कहती हैं कि अब पढ़ाई करने का समय नहीं है ससुराल की पैकिंग करने का वक्त है कुछ ही दिनो मे तेरी शादी होने वाली है अपराजिता उन्हें जवाब देती है कि पैकिंग तो करूंगी आंटी लेकिन ससुराल जाने के लिए नहीं , बल्कि आईएस टेलिंग लबासना जाने के लिए , यह सुनकर आंटी की लड़की निवेदिता जो कि बीएचयू में पढ़ रही होती है हंसने लगती है और कहती है जिससे बीएचयू का इंट्रेंस एग्जाम भी निकला वह आईएस क्या बनेगी यह सुनकर अपराजिता मन में सोचती है कि "जीतने का मजा तभी आता है जब सब आपके हारने का इंतजार कर रहे हो " और वह कुछ नही बोलती ऐसे तालुका का जवाब सक्सेस से दिया जाता है ।

अब उसका इंटरव्यू का दिन भी आ जाता है और इंटरव्यू काफी अच्छा होता है और वह अंतिम परिणाम का इंतजार करने लगती है वह अंतिम रिजल्ट का इंतजार करने लगती है तभी अचानक उसे रिजल्ट का पता चलता है कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एंट्रैन्स को ना पास करने वाली लड़की यूपीएससी परीक्षा में अपना परचम लहरा देती है जी हां अपराजिता ने आईएएस वाली रंक सिक्युर कर ली थी और अब जब आंटी की बेटी निवेदिता को पता चलता है तो वह बधाई देने आ पहुंचती है अपराजिता के मन में यह ख्याल आ जाता है कि देर से बनो पर जरूर कुछ बनो क्योंकि लोग वक्त के साथ खैरियत नहीं बल्कि ऐसियत पूछते हैं जी हां दोस्तों लोग वक्त के साथ खैरियत नहीं बल्कि आपकी ऐसियत पूछते हैं कि आपकी हैसियत क्या है तो दोस्तों यदि आपको अपनी एसियत मे थोड़ा सा भी इजाफा लाना है तो प्लीज आज से ही लग जाइये  अपने लक्ष्य ( यूपीएससी ) की प्राप्ति के लिए जिसे आपने ने तय की है उस पर पढ़ाई करना शुरू कर दीजिये  अब एक अच्छा समय है अच्छा विकल्प भी है  क्यूकी लाइफ मे केवल एक ही बार सबसे अच्छा मौका मिलता है ।


तो दोस्तो यदि आपको यह Story अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर करें ताकि यह Story हर एक यूपीएससी Aspirants तक पहुंचे और उसे अपनी तैयारी में एक आत्मविश्वास और बल मिल सके

धन्यवाद!